Tuesday, October 3, 2023
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Raksha Bandhan 2023 Date: कब है रक्षाबंधन 30 या 31 अगस्त? दूर करें अपना कन्फ्यूजन

Raksha Bandhan 2023: रक्षाबंधन का पर्व बहन और भाई का प्यार का प्रतीक है। इस दिन बहने अपनी भाई की कलाई पर राखी बांधती है। लेकिन, इस बार भी रक्षाबंधन की तारीख 30 या 31 अगस्त को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ है। ऐसे में आइए जानते हैं रक्षाबंधन की सही तारीख और मुहूर्त।

Raksha Bandhan 2023:

रक्षाबंधन की तारीख को लेकर इस बार भी कंफ्यूजन है। दरअसल, इस बार भद्रा होने के कारण रक्षाबंधन 30 और 31 अगस्त को मनाने को लेकर मतभेद है। रक्षाबंधन का त्योहार हर साल पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इन दिन बहने अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है। रक्षाबंधन के दिन अगर भद्रा होती है तो बहनों को उस समय अपने भाई बहनों की कलाई पर राखी नहीं बांधनी चाहिए। भद्रा काल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं रक्षाबंधन का पर्व 30 या 31 अगस्त कब मनाया जाएगा।

रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त
इस साल शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर प्रारंभ हो रही है। पूर्णिमा तिथि का समापन 31 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर होगा। ऐसे में रक्षाबंधन का त्योहार 30 अगस्त को ही मनाया जाएगा। हालांकि, इस दिन भद्रा लगने के कारण आपको मुहूर्त का खास ख्याल रखना होगा। आगे बढ़ने से पहले बता दें कि पंजाब सहित कुछ क्षेत्रों में जहां उदया तिथि की मान्यता है वहां 31 तारीख को सुबह 7 बजकर 5 मिनट से पहले रक्षाबंधन का पर्व मना लेना अत्यंत फलदायी रहेगा।

राखी बांधने का मुहूर्त
भद्रा 30 अगस्त को रात के समय 9 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगी। शास्त्रों में ऐसा विधान है की भद्रा स्थिति में भद्रा मुख का त्याग करके भद्रा पूंछ जब हो उस समय शुभ कार्य जैसे रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा सकता है। इस बार भद्रा पूंछ शाम में 5 बजकर 30 मिनट से 6 बजकर 31 मिनट तक रहेगी। आप चाहें तो इस समय रक्षाबंधन का पर्व मना सकते हैं। इसमें आपको भद्रा का दोष नहीं लगेगा। ख्याल रखें की भद्रा मुख के दौरान आपको राखी नहीं बांधनी है।

30 अगस्त 2023 को भद्रा पूंछ का समय में 5 बजकर 30 मिनट से 6 बजकर 31 मिनट तक
30 अगस्त 2023 को भद्रा मुख का समय शाम में 6 बजकर 31 मिनट से 8 बजकर 11 मिनट तक।

इस समय बांधे राखी
30 अगस्त को भद्र रात में 9 बजकर 1 मिनट तक होने के कारण आप चौघड़िया मुहूर्त में भी राखी बांध सकते हैं।
अमृत चौघड़िया मुहूर्त राखी बांधने के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त सुबह 7 बजकर 34 मिनट से 9 बजकर 10 मिनट तक।
शुभ चौघड़िया मुहूर्त सुबह 10 बजकर 46 मिनट से 12 बजकर 22 मिनट तक।
अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त रात में 9 बजकर 34 मिनट से 10 बजकर 58 मिनट तक।

भाई-बहनों के बीच गहरे रिश्ते का जश्न मनाने वाला एक प्रिय भारतीय त्योहार रक्षा बंधन आने ही वाला है। इस वर्ष, रक्षा बंधन 30 या 31 August 2023 को मनाया जाने वाला है। यह त्योहार अत्यधिक सांस्कृतिक और भावनात्मक महत्व रखता है, जो भाइयों और बहनों के बीच गहरे संबंध को प्रदर्शित करता है। भाइयों की कलाई पर पवित्र धागा, जिसे “राखी” के नाम से जाना जाता है, बांधने का प्रतीक रक्षाबंधन प्यार, पुरानी यादों और सुरक्षा के वादों से भरा दिन है।

तिथि और समय:
रक्षा बंधन हिंदू चंद्र माह श्रावण की पूर्णिमा के दिन पड़ता है। 2023 में, यह शुभ दिन ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुरूप, 30 या 31 August 2023 पर आने की उम्मीद है। उत्सव आम तौर पर सुबह के समय शुरू होते हैं और पूरे दिन जारी रहते हैं।

रक्षा बंधन की परंपरा:
“रक्षा बंधन” शब्द का हिंदी में अनुवाद “सुरक्षा का बंधन” है। यह त्यौहार एक सरल लेकिन शक्तिशाली अनुष्ठान के इर्द-गिर्द घूमता है – बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है। राखी सिर्फ एक धागा नहीं बल्कि स्नेह, विश्वास और एक-दूसरे की रक्षा करने के वादे का प्रतीक है। बदले में, भाई अपनी बहन को उपहार देता है और जरूरत के समय उसके साथ खड़े रहने का वचन देता है।

सांस्कृतिक महत्व:
रक्षा बंधन जैविक रिश्तों से परे है, क्योंकि यह रक्त संबंधों की परवाह किए बिना भाई-बहन के सार का जश्न मनाता है। यह भाइयों और बहनों के बीच साझा किए जाने वाले प्यार, देखभाल और जिम्मेदारी के गुणों को दर्शाता है। यह त्योहार भाई-बहनों के उस विशेष सौहार्द को श्रद्धांजलि है जो एक-दूसरे के जीवन में उनके समर्थन और अटूट उपस्थिति को स्वीकार करते हुए साझा करते हैं।

रीति-रिवाज और उत्सव:
रक्षा बंधन की तैयारियां आमतौर पर हफ्तों पहले ही शुरू हो जाती हैं। बाज़ार रंग-बिरंगी राखियों और उपहार वस्तुओं से सजे हुए हैं, जिससे भाई-बहनों को एक-दूसरे के प्रति अपने स्नेह के प्रतीक चुनने का मौका मिलता है। त्योहार के दिन, बहनें राखी के धागे, मिठाइयाँ और धूप जैसी पारंपरिक वस्तुएँ इकट्ठा करती हैं। वे अपने भाइयों के लिए आरती (एक जलता हुआ दीपक शामिल करने वाला अनुष्ठान) करती हैं और फिर उनकी भलाई के लिए प्रार्थना के साथ राखी बांधती हैं। बदले में, भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और सुरक्षा का हार्दिक वादा करते हैं।

आधुनिक आउटलुक:
जबकि रक्षा बंधन का सार पूरी तरह से पारंपरिक है, यह त्योहार बदलते समय को समायोजित करने के लिए विकसित हुआ है। प्रौद्योगिकी के विकास के साथ, भौगोलिक दूरियाँ अब बाधा नहीं रह गयी हैं। बहनें अब दूर रहने वाले भाइयों को राखी भेजती हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि शारीरिक उपस्थिति संभव न होने पर भी भावनात्मक संबंध बना रहे।

रक्षा बंधन एक त्यौहार से कहीं अधिक है; यह भाई-बहनों के बीच अपूरणीय बंधन का उत्सव है। यह उस प्यार, देखभाल और सुरक्षा की याद दिलाता है जो भाई-बहन एक-दूसरे को देते हैं। जैसे-जैसे दुनिया विकसित हो रही है, इन संबंधों का महत्व अटूट बना हुआ है। इस रक्षा बंधन पर, जैसे हम प्यार का धागा बांधते हैं, आइए हम समझ, सहानुभूति और आजीवन सहयोग के मजबूत बंधन भी बुनें।

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