Court on Love Jihad:- अगर दो लोगों के बीच रिश्ता प्रेम का ही होता है तो फिर उसकी शुरुआत झूठ से ही क्यों होती है? क्या जरूरत होती है नाम छिपाकर किसी दूसरे धर्म की लड़की को फँसाने की? क्या जरूरत होती है उससे शादी करने से पहले उसका धर्म बदलवाने की? न बदलने पर उससे जोर-जबरदस्ती करने की, उसे मारने-पीटने की?
बरेली की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने लव जिहाद के एक मामले में मोहम्मद आलिम को उम्रकैद की सजा सुनाई। इस दौरान कोर्ट ने कुछ प्रमुख टिप्पणिया कीं। ऐसे मामलों पर चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि लव जिहाद का मुख्य उद्देश्य हिंदुस्तान के खिलाफ एक मजहब के कुछ अराजक लोगों द्वारा जनसंख्यायिक युद्ध और अंतरराष्ट्रीय साजिश के तहत वर्चस्व बनाना है। जज ने कहा कि हिंदू लड़कियों को लव जिहाद के तहत बंधक बनाया जाता है और उनका धर्मांतरण किया जाता है ताकि पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे हालात बनाए जा सकें। यह भी मना नहीं किया जा सकता कि इस साजिश में विदेशी धन न हो। ये सिर्फ देश में मुस्लिमों की संख्या बढ़ाने के लिए किए जाते हैं।
कोर्ट की यह टिप्पणी शायद उन लिबरल-वामपंथियों को न पचे जो लंबे समय से “लव जिहाद” शब्द को अस्वीकार करते आए हैं। वास्तव में, लव जिहाद इस्लामी कट्टरपंथियों का उत्पाद है। इसके लिए विशेष रूप से ब्रेनवॉश किया जाता है। बताया जाता है कि हिंदू लड़की को इस तरह फँसाकर, निकाह कर लेने और उससे शादी करने पर उन्हें जन्नत मिलेगी।
Love Jihad करने पर मिलेगी ‘जन्नत’
अगर इस बात पर यकीन नहीं, तो 2022 का एक पुराना मामला पढ़िए। मोहम्मद आलम ने एक अनुज प्रताप सिंह बनकर एक हिंदू लड़की को फँसाया, उसने लड़की को यकीन दिलाया कि वो हिंदू है, उसके बाद उससे शादी कर ली।
राज खुला तो मोहम्मद आलम ने एक युवती को गोली मारने की धमकियाँ देने और उसकी अश्लील वीडियो वायरल करने लगे। वह भी हिंदुओं को अपशब्द कहने लगा। उसने एक बार युवती को गोली मार दी, लेकिन लड़की बच गई।
यह सब करने के बाद आलम ने अपने स्टेटस पर क्या अपडेट किया, इसे ध्यानपूर्वक पढ़िए। “मैंने जो किया है, इससे जन्नत मिलती है,” उसने अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल करते हुए लिखा।”
ज़ाहिर है कि उसे किसी ने बताया होगा कि हिंदू लड़की को फँसाना, रेप करना और उसे इस्लाम कबूल करवाना सब जन्नत तक पहुंचने के तरीके हैं।
बांग्लादेश में भी चल रहा लव जिहाद का खेल
आपको हैरानी होगी कि लव जिहादी भारत और बांग्लादेश में अपना खेल खेल रहे हैं। मीडिया रिपोर्टों में मुस्लिम युवकों को कट्टरपंथी संगठनों द्वारा इनाम देते दिखाया गया है ताकि वे इस धन का उपयोग हिंदुओं को इस्लाम मानने के लिए करें।
ऐसे फतवे वायरल हुए थे जिसमें कहा गया था कि हिंदू महिलाओं को लव जिहाद में शामिल करो और उनका धर्म बदलो। फतवे में पांच सौ से पांच सौ लाख बांग्लादेशी करंसी का इनाम भी शामिल है। संगठन के हर जिला अध्यक्ष और महासचिव को इस आदेश की प्रतिलिपि भेजी गई है।
लव जिहाद शब्द गलत तो कहाँ से हर साल आ रहे मामले
इन सबूतों के बावजूद, संदेह उठने पर सैकड़ों उदाहरण हैं। 2023 में ऑपइंडिया ने 153 लड़कियों को प्रेम हिंसा में मार डालने की रिपोर्ट दी। यह स्पष्ट है कि ऑपइंडिया भी सभी मामले हल नहीं कर पाया होगा, लेकिन सोचिए कि संख्या 153 तक पहुँच गई थी। 2022 में भी ऑपइंडिया ने लगभग 150 प्रेम हिंसा के मामले रिपोर्ट किए थे..। हर रिपोर्ट में खबरों के लिंक और उनके स्रोतों को शामिल किया गया था, जो स्पष्ट रूप से बताता था कि घटनाएँ वास्तविक थीं और किसी ने खुद से उन्हें शब्दों में गढ़कर नहीं प्रस्तुत की थीं।
केरल के पूर्व मुख्यमंत्री भी कर चुके हैं इस्लामी कट्टरपंथियों की मंशा का खुलासा
केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन ने भी लव जिहाद की हकीकत मान ली है। 2010 में, उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि कैसे इस्लामी कट्टरपंथियों ने अगले दो दशक में केरल को मुस्लिम राज्य बनाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए वे युवा लोगों का विचार मांग रहे हैं। वे धन दे रहे हैं। मुसलमान आबादी को बढ़ाने के लिए युवा लोगों को हिंदू लड़कियों से शादी करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। कम्युनिस्ट नेता ने कहा कि इस्लामी कट्टरपंथियों की तरकीबें राज्य में भी काम कर रही हैं और उनकी आबादी भी बढ़ रही है।
सर्वे में भी सामने आया था लव जिहाद को सच
लव जिहाद के काले सच को आम लोग भी धीरे-धीरे अच्छे से जान-समझ रहे हैं। कुछ समय पहले लव जिहाद (Love Jehad) की बढ़ती घटनाओं के बीच एक सर्वे रिपोर्ट सामने आई थी। इस सर्वे में देश भर के 1.40 लाख से अधिक लोगों से राय ली गई थी और नतीजे ये निकलकर आए थे कि देश के 53% लोगों का मानना था कि मुस्लिम पुरुष लव जिहाद में लिप्त रहते हैं।
अगर लव जिहाद झूठ तो क्या है इन सवालों के जवाब
इतने प्रमाणों के बावजूद जो ये मानते हैं कि लव जिहाद जैसा कुछ नहीं है और दक्षिणपंथी केवल प्रेम के बीच मजहब को लाकर नफरत फैलाते हैं… उनसे सवाल किया जाना चाहिए कि ऐसे मामलों में अगर दो लोगों के बीच रिश्ता प्रेम का ही होता है तो फिर उसकी शुरुआत झूठ से ही क्यों होती है? क्या जरूरत होती है नाम छिपाकर किसी दूसरे धर्म की लड़की को फँसाने की? क्या जरूरत होती है उससे शादी करने से पहले उसका धर्म बदलवाने की? उस पर नमाज पढ़ने का दबाव बनाने की, इस्लामी रीति-रिवाज मनवाने की? सिर्फ प्रेम की बात होती तो क्या ऐसे मामले सामने आते…? नहीं।
ये मामले लव जिहाद के ही होते हैं जिनमें केवल एक तरह का पैटर्न देखने को मिलते हैं। दिल्ली हो या केरल, बंगाल हो या कश्मीर…आप जहाँ से लव जिहाद के मामले सुनेंगे तब आपको पता चलेगा कि कैसे सिर्फ पीड़ित और आरोपित अलग हैं लेकिन बाकी सारी बातें एक जैसी। कई बार लव जिहाद की पीड़िताओं को भागकर अपनी आपबीती बताने का मौका मिलता है मगर कई ऐसी भी होती हैं जो एक बार जाल में फँसने के बाद इससे कभी निकल ही नहीं पातीं। फिर या तो उनकी लाश मिलती है या फिर लाश के टुकड़े…।